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सैफ : सफलता के सोपानों का सफर

saif the journey of sucess

भारत  मल्होत्रा


कभी उनकी आवाज का मखौल उड़ाया जाता। तो कभी उनके स्‍टाइल चर्चा का विषय बनते। कभी यह भी कहा जाता कि वे अपने दम पर फिल्‍म हिट करवाने की काबिलियत नहीं रखते। जब कभी बॉलीवुड के ख़ानों की बात होती, तो उनका नाम शामिल नहीं होता। लेकिन, धीरे-धीरे ही सही सैफ अली खान पटौदी अब अपने लिए वो जगह बना चुके हैं, जहां किसी के लिए भी उन्‍हें नजरअंदाज करना आसान नहीं। सैफ आज हर बड़े बैनर के साथ काम चुके हैं। लेकिन, बीते दिनों वह अपनी अदाकारी या किसी फिल्‍म के चलते नहीं बल्कि अपनी शादी के चलते चर्चा में रहे। बेबो यानी करीना कपूर के साथ उनकी शादी हो ही गयी। जी, लंबे समय से इस शादी का इंतजार हो रहा था।


सैफ ने फिल्‍म ‘परंपरा (1992) से बतौर अभिनेता अपने कॅरियर की शुरुआत की। फिल्‍म कोई खास कमाल नहीं कर पाई। इसके बाद आई फिल्म ‘आशिक आवारा’ के लिए उन्हें फिल्मफेयर बेस्ट मेल डेब्यू का खिताब मिला। हालांकि, इसके बाद सैफ को सफलता के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। ‘मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी’, ‘यह दिल्‍लगी’, ‘कच्चे धागे’, ‘हम साथ-साथ हैं’ जैसी मल्टीस्टारर फिल्मों में उनकी अ‍दाकारी की तारीफ तो हुयी, लेकिन निर्माता अभी भी उन्‍हें सिंगल हीरो लेकर फिल्‍म बनाने से बच रहे थे।


‘आशिक आवारा’ से लेकर फरहान अख्तर की ‘दिल चाहता है’ तक सैफ ने दो दर्जन से ज्यादा फिल्मों में काम किया। लेकिन, अभी तक उन्‍हें वह मुकाम नहीं मिला जिसकी उनसे उम्‍मीद की जा रही थी। अपने समकालीन अभिनेताओं के मुकाबले सैफ का पलड़ा अभी तक कमजोर था। 'दिल चाहता है' में सैफ नए लुक के साथ नजर आए। छोटे बालों वाले शहरी युवा का किरदार उन पर खूब फबा। आमिर खान, अक्षय खन्‍ना और प्रीति जिंटा जैसे बड़े नामों के बीच भी सैफ अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा गए। इस फिल्‍म ने उनके करियर की दिशा ही बदल दी।


 ‘दिल चाहता है’ के बाद सैफ अली खान ने ‘कल हो ना हो’, ‘हम-तुम’, ‘सलाम-नमस्ते’, ‘एक हसीना थी’ और ‘परिणिता’ जैसी फिल्मों में काम किया। “हम तुम” में पहली बार सैफ अली खान ने अकेले अभिनय किया। फिल्‍म हिट साबित हुयी। यानी अब अकेले अपने दम पर फिल्‍म हिट न करवा पाने की सैफ की आलोचना को भी विराम  मिला। इस फिल्म के लिए सैफ को पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड मिला। इस फिल्म के लिए सैफ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।


साल 2007 में आई फिल्म 'ओंकारा' में उनका निभाया लंगड़ा त्‍यागी का किरदार आज भी लोगों के जेहन में ताजा है। इस फिल्‍म के लिए सैफ को एक और फिल्‍मफेयर मिला इस बार बेस्‍ट विलेन के लिए।


सैफ ने फिल्‍म युवा डायरेक्‍टर इम्तियाज अली की फिल्म ‘लव आजकल’ (2009) से बतौर निर्माता शुरूआत की। इस फिल्‍म में वह खुद अभिनेता रहे। यह फिल्म एक हिट साबित हुई। सैफ की फिल्म 'आरक्षण' को भी खूब पसंद किया गया।


निजी जीवन

सैफ का जन्म 16 अगस्त, 1970 को पटौदी के नवाबों के घर हुआ था। उनके पिता मंसूर अली खान पटौदी भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पटौदी के नवाब रह चुके हैं। पिता की मौत के बाद पटौदी की पंचायत ने सैफ को छोटे नवाब से 'नवाब' का खिताब दिया। उनकी मां शर्मिला टैगोर हिन्दी फिल्मों की मुख्य अभिनेत्री रही हैं। सैफ की बहन सोहा अली खान भी हिन्दी फिल्मों की अभिनेत्री हैं। उनकी दूसरी बहन साबा अली खान हैं।


सैफ का बचपन नवाबों की तरह बीता। लॉरेंस स्कूल सानावार से अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद सैफ अली खान ने यूके के विंचेस्टर कॉलेज से अपनी पढ़ाई पूरी की जिससे उनके पिता ने भी अपनी पढ़ाई पूरी की थी।

 

एक ओर जहां सैफ का फिल्मी कॅरियर अपनी राह पकड़ चुका है वहीं आए दिन उनका सामना व्यक्तिगत जीवन के उतार-चढ़ावों से भी होता रहा है। सैफ अली खान ने अभिनेत्री अमृता राव से 1991 में शादी की थी। लेकिन 13 साल बाद 2004 में उन्होंने तलाक ले लिया। अमृता से सैफ के दो बच्चे हैं इब्राहिम अली खान और सारा अली खान। पत्‍‌नी अमृता सिंह से तलाक के कुछ दिनों बाद ही पूर्व प्रेमिका रोजा से संबंध विच्छेद की वजह से सैफ भावनात्मक रूप से बेहद आहत हुए थे लेकिन उन्होंने हौसला नहीं खोया। अमृता से शादी से उनके दो बच्‍चे सारा (बेटी) और इब्राहिम हैं। वे भी करीना और सैफ की शादी में मौजूद थे।

 

सैफ अली खान की कामयाबियां

1994 में फिल्म “आशिक आवारा” के लिए फिल्मफेयर बेस्ट मेल डेब्यू अवार्ड।
2002 में फिल्म “दिल चाहता है” के लिए फिल्मफेयर बेस्ट कॉमेडियन अवार्ड ।
2004 में फिल्म “कल हो ना हो” के लिए फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवार्ड।
2005 में फिल्म “हम तुम” के लिए पहली बार फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर अवार्ड और इसी फिल्म के लिए सैफ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
2007 में फिल्म “ओंकारा” के लिए सर्वश्रेष्ठ विलेन का फिल्मफेयर अवार्ड मिला।

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